आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक वैज्ञानिक हार्टमेण्ट अनसर्टन ने एक ऊर्जा मापक यंत्र से प्रतीकात्मक चिन्हों की ऊर्जा को मापा है। जिसके परिणाम आश्चर्यजनक रहे। आज चीनी कछुए, लाफिंग बुद्धा, तीन टांग का मेंढक, चीनी सिक्के आदि जो हम देख रहे हैं इनमें मात्र 100 से लेकर 500 बोविस की ऊर्जा ही होती है कछुए से 100 बोविस ऊर्जा निकलती है तो तीन टांग वाले मेंढक से 300 बोविस ऊर्जा निकलती है । बोविस वस्तुतः ऊर्जा नापने की यूनिट है।
भारतीय चिन्हों जैसे, ऊँ, शिवलिंग, स्वास्तिक आदि से अन्य चिन्हों के मुकाबले कई गुना अधिक ऊर्जा निकलती है। शिवलिंग से 16000 बोविस ऊर्जा निकलती है तो ऊँ से 70000 बोविस ऊर्जा निकलती है वही स्वास्तिक से 1 लाख बोविस ऊर्जा का संचालन होता है। वैज्ञानिको ने विश्व के सभी प्रकार के प्रतिकात्मक चिन्हों पर अध्यन किया है। विश्व में सकारात्मक ऊर्जा के जितने भी स्त्रोत उपलब्ध है उनमें भगवान शालिग्राम एवं स्वास्तिक ही केवल ऐसे महास्त्रोत हे जिनमें 1लाख बोविस या उससे अधिक सकारात्मक ऊर्जा निकलती है।
इस चमत्कारिक आकृति के बारें में जितना कहा जाये कम है। यह चिन्ह इतना शुभ है कि इसे घर के बाहरी द्वार पर बनाने मात्र से भवन सभी प्रकार की बुरी नजरों से बच सकता है। घर के बाहर इसे सिन्दूर व हल्दी से बनाया जा सकता है। स्वास्तिक 27 नक्षत्रो को संतुलित कर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। विशेषतः 6″x6″ आम की लकड़ी से बने स्वास्तिक को सिद्ध करके प्रयोग करना श्रेष्ठतम होता है।