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सुख समृद्धि के उपाय

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विवाह पूर्व कुंडली मिलान

कुण्डली मिलान में उत्तर भारत में निम्नलिखित 8 कूट देखे जातें है। कमानुसार कूटो कें 1 से लेकर 8 तक अंक है। इनका जोड़ 36 होता है। 36 में 15 अंक मिलने पर भी विवाह हो सकता है।

वश्य कूट–  

वश्य 5 होते है चतुष्पद, द्विपद, वनचर, कीट। वश्य का अर्थ है वश में होना या करना। वर/कन्या का मित्र वश्य शुभ होता है। अधिकतम 2 अंक दिये जाते है।

तारा कूट–

तारा 9 होते है शुभ तारा होने पर 3 अंक दिये जाते है।

योनि कूट–

कुल 14 योनियां होती है। जन्म नक्षत्र अनुसार योनि निर्धारण किया जाता है। वर/कन्या की मित्र योनि या सम योनि होने पर 4 अंक दिये जाते है।

ग्रह मैत्री कूट–

वर/कन्या की जन्म राशि के स्वमी ग्रह मित्र हो तो ग्रहस्थ जीवन में आपसी संबंध सहज रहते है। मित्र होने पर 5 अंक देते है।

गण कूट–  

गण 3 है देवगण, मनुष्यगण, राक्षसगण । वर/कन्या का एक ही गण हो तो मिलान शुभ होता है। अधिकतम अंक 6 दिये जाते है

भकूट कूट–

  वर की जन्म राशि से कन्या की जन्म राशि के अन्तर को भकूट कहते है, त्रिएकादश और चर्तुदशम भकूट शुभ होते है। समसप्तक, दिद्वादश, नवपंचम, षष्ठाषष्ठम अशुभ होते है। शुभ भकूट के 7 अंक दिये जाते है।

नाड़ी कूट–

नाड़ी 3 होती है- आध, मध्य, अन्त्य ! वर / कन्या की नाड़ी अलग अलग है तो मिलान ठीक है।

वर्ण कूट–

चार वर्ण होते है- ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ! वर का वर्ण कन्या के वर्ण से उच्च होना उत्तम तथा समान होना शुभ होता है। निर्धारित अंक है।

कूट वर्णवश्यतारायोनिग्रहमैत्रीगणभकूटनाड़ी
अंक12345678
ज्ञानव्यवहारस्वभावभाग्ययौन संबंधआपसी संबंधसामाजिककर्ताजीवन शैलीआयु संतान
उपरोक्त वर्णदि ऊष्टकूटों के साथ निम्नलिखित आधारभूत भावों/व्यवहारिक तथ्यों का मिलान देखना आवश्यक है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली का मंगल एक राशि/भाव में है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में मंगल परस्पर शुक्र की राशि में है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में मंगल और शुक्र एवं भाव राशि में है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में लग्नेश केन्द्र में है और शुभ ग्रहों से दृष्ट है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली मे सप्तमेश अपने भाव में है और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में सप्तमेश व त्रिकोणेश केन्द्र है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में पंचमेश व सम्तमेश एक साथ है या दोनो में परस्पर राशि परिवर्तन योग है अर्थात सौभाग्य है।
  • वर की कुण्डली में सूर्य के अंश तथा कन्या की कुण्डली में चन्द्र के अंश लगभग बराबर है।
  • वर / कन्या की जन्म कुण्डली में शुक्र के स्पष्ट अंश लगभग समान है। साथ में किसी ज्योतिषि से शनि की दृष्टि में भी विचार करवा लेना चाहिए।
  • वर की कुंडली में शुक्र तथा कन्या की कुंडली में गुरु 6,4,12 भाव में तो नहीं है ।