मानव जीवन पर ग्रह अपना भला या बुरा प्रभाव डालते है। इस सन्दर्भ मे “लाल किताब” ने ग्रहो के दुष्पभाव का शमन करने के अनेक उपाय बताते है, ताकि सामान्य-स-सामान्य आदमी सुखी जीवन जी सके। “लाल किताब” से संकलित कुछ अनुभव सिद्ध और विशिष्ट उपाय यहां प्रस्तुत है-तिल आपके सभी प्रकार के शारीरिक,आर्थिक एवं चरित्र के बारे में काफी कुछ दर्शा देता है।
हमेशा सच बोलें। कोर्ट या कचहरी में झूठी गवाही न दें ।
दूसरो की निंदा न करें । खुदगर्ज न बनें ।
माता-पिता का यथोचित आदर करे और उनके आज्ञाकारी बनें ।
तीर्थयात्रा अवश्य करें ।
गाय के बछड़े को स्नेह से पालें ।
घी में पूरियां तलकर गरीबों को खिलायें ।
दि शनि विपरीत चल रहा हो तो सफेद वस्त्र में काले तिल बांधकर पानी में प्रवाहित करे । तिल-गुड़ की बनी रेवड़ियां बांटें ।
सोते समय सिरहने दूध से भरा बर्तन रखें । प्रातःकाल उठकर बिना किसी से कुछ बोले वह बरगद के पेड़ में डाल दें । संबंधी उपाय
नीचे ग्रह की वस्तुओं का दान कभी न लें । यदि अपना ग्रह उच्च हो तो उस ग्रह संबंधी चीजों का दान न करें ।
अगर चंद्र जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो जातक को प्याऊ, धर्मशाला का निर्माण कराना, कुएं खुदवाना, गरीबों को भोजन खिलाना, गौ-दान करना आदि जनकल्याण के कार्य कतई नही करने चाहिए । ऐसा करने से वंश-वृद्धि रुक जाती है ।
यदि नं. 8 में शनि हो तो भोजन ,धन, वस्त्र, गाय आदि का दान न करें ।
यदि जन्मकुंडली के पाँचवे घर में बृहस्पति बैठा हो तो धन का दान न करें ।
अगर बृहस्पति नौवें घर में हो तो किसी भी धार्मिक कार्य के लिये दान नही करना चाहिए ।
यदि नौवें घर में शुक्र बैठा हो तो धन या अनाज से संबंधित दान नही करना चाहिए ।
जन्मकुंडली के बारहवें घर में चंद्र के होने पर पंडित या किसी अन्य व्यक्ति से कोई भी धार्मिक कार्य नही कराना चाहिए और न ही दान देना चाहिए ।
सातवें घर में बृहस्पति हो तो पुरोहित को धन या अनाज दान में मत दें ।
जन्मकुंडली के छठे घल में शनि बंद हो तो निकट संबंधी के विवाह में शामिल न हो और विवाह के लिए उसे आर्थिक सहयोग भी न दें ।
किसी कन्या के विवाह के लिये आप स्वयं धन खर्च करें । अपने पुत्र या पत्नी से धन खर्च न करावांए ।
अगर जन्मकुंडली के दूसरे घर में राहु हो तो तेल या चिकनाई वाले पदार्थो का दान नही करना चाहिए ।
अगर शुक्र चौथे घर में बैठा हो और साथ मे राहु भी हो तो सोने का दान नही करना चाहिए ।
यदि जन्मकुंडली के आठवें घर में राहु सूर्य के साथ बैठा हो तो कन्या के विवाह के अवसर पर ब्राह्मणो को दान न दें ।
अगर शनि अशुभ चल रहा हो तो चांदी का दान न करें ।
जन्मकुंडली के सातवें घर में केतु बैठा हो तो लोहा या लोहे की वस्तु का दान न करें ।
चौथे घर में मंगल बैठा हो तो वस्त्र का दान कभी नही करना चाहिए ।
ग्रह प्रवेश से पहले तुलसी का पौधा या अपने इष्ट देवता की तस्वीर लगाना, पानी से भरा कलश रखने एवं गाय को प्रवेश कराना अति शुभकारी होता है । इससे घर में सुख-शांति आती है और संपन्नता बढती है ।
अगर जन्मकुंडली में केतु पाँचवें घर मे हो तो भवन निर्माण से पहले चीजों का दान अवश्य करें ।
यदि जमीन निर्माण के समय जमीन से या जमीन पर चींटियां निकले तो उन्हे शक्कर एवं आटा मिलाकर खिलाए ।
भवन निर्माण से पूर्व मकान की जमीन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए ।
भवन निर्माण शुरु कराने से पूर्व कारीगरों (राजगीरों) को मिष्ठान्न खिलायें ।
एक बार भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाये तो उसे बीच मे नही रोकें, अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास हो जायेगा ।
यदि जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में शनि हो तो मुख्य द्वार की चौखट बनवाने से पूर्व उसके नीचे चंदन दबा दें ।
अगर शनि जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो भवन निर्माण के पूर्व उस भूमि पर हवनादि करें और जमीन को शुद्ध कर लें । इससे केतु का प्रभाव मंदा पड़ जाता है ।
यदि शनि जन्मकुंडली के चौथे घर में हो तो जातक को पैतृक भूमि पर मकान नहीं बनवाना चाहिए । यदि वह ऐसा करता है तो परिवार के सदस्यो को जिंदगीभर कष्ट उठाने पड़ते हैं । पुत्र रोगी रहता है । तंदरुस्त होने पर किसी झूठे मुकदमे में फंसकर उसे कारावास की सजा भुगतनी पड़ती है ।
यदि जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो गृह निर्माण करने से पूर्व गौ-दान करें ।
भवन की नींव भरते समय शहद से भरा बर्तन दबा दें। इससे जातक आजीवन खतरों से मुक्त रहेगा ।
संतान की भलाई के लिए अपनी पत्नी को उचित सम्मान दें ।
संतान को दीर्घायु बनाने के लिये पिता को बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए ।
संतान को रोगमुक्त करने के लिये भी गाय को भोजन खिलायें । जातक पीपल के पेड़ का जलसिंचन करें ।
संतान न होने पर अपने भोजन का आधा हिस्सा गाय को खिलाए ।
संतान प्राप्ति के लिये “संतान गोपाल स्तोत्रम” का पाठ करें । गणेशजी की पूजा-आराधना करें ।
रोग मुक्ति के लिये अपने भोजन का चौथाई-चौथाई हिस्सा गाय और कुत्ते को नित्य खिलाए ।
पुत्र रोगी हो तो कन्याओं को हलवा खिलायें ।
अगर केतु के अनिष्ट प्रभाव के कारण रोग हो जाये तो तंदूर की मीठी रोटी कौए को खिलाए ।
पत्नी बीमार हो तो गौ-दान लाभदायक होता है ।
पुत्री बीमार हो तो पीपल के पेड़ की लकड़ी उसके सिरहाने रखें ।
मंदिर में गुप्त दान करना राग-मुक्ति का बेहतर उपाय है।
रविवार को मंदिर में 1.5 किलो बूंदी के लड्डू प्रसाद के रूप में बांटें।
सिर दर्द होने पर चंदन और केसर का तिलक रोगी के सिर पर लगाये।
घर में कोई बीमार हो जाये तो उसे शहद मे चन्दन मिला कर चटायें ।
यदि जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में सूर्य-चंद्र बैठे हों तो शराब और कबाब का सेवन कभी न करें ।
पांच ग्रहो की युति होने पर शनि की चीजे दान करें । ब्राह्मण को घी से बना पक्का भोजन करायें।
शुक्र-मंगल की युति हो तो मुख्य द्वार के नीचे चांदी की कील ठोंकें ।
बृहस्पति-सर्य की युति हो तो पीपल के वृक्ष को पानी से सींचे । संध्याकाल शुद्ध घी का दीपक पेड के नीचे प्रज्ज्वलित करें ।
अगर वर्षफल मे राहु-केतु इकट्ठे हो जायें तो पांच ब्राह्मणों को दान दें ।
चंद्र-शुक्र या चंद्र-मंगल या मंगल-शुक्र की युति हो तो कन्यादान करें ।
मंगल-बुध की युति होने पर काले चने उबालकर बांटे । बृहस्पति, चंद्र व केतु के उपाय करें ।
यदि बुध-शनि साथ-शाथ हो तो गद्दे पर न सोये । मछलियों को आटे की गोलियां खिलायें । काली गा य को पालें ।
चंद्र-राहु की युति हो तो दूध में सूजी (रवा) एवं शहद मिलाकर खीर बनायें । कुमारी कन्याओं को खिलायें और स्वयं भी खायें । मां दुर्गा की उपासना करें ।
अगर चंद्र-मंगल की युति हो तो मंगल की चीजो का दान करे ।
जन्मकुंडली में सूर्य-शुक्र की युति हो तो कानो में सोने की बालियां पहनें ।
जन्मकुंडली में सूर्य-शुक्र की युति हो तो बृहस्पति का उपाय करें।
जब राहु-केतु की युति वर्षफल में हो तो चांदी का पत्थर जेब मे रखें ।
शनि-राहु के एक साथ होने पर देवी के मंदिर में नारियल चढ़ायें । बादाम और नारियल बहते पानी में बहायें । कन्याओं को मिठाई बांटें ।
यदि शुक्र-शनि की युति हो तो मंदिर में नारियल चढ़ायें ।
शुक्र-बुध के इकट्ठे होने पर चंद्र के उपाय करें ।
बृहस्पति-केतु की युति हो तो नींबू एवं रेवड़ियां धर्म स्थान में दान करें ।
यदि बृहस्पति –राहु साथ-साथ हो तो उपायों द्वारा केतु को प्रसन्न करें ।
बुध-बृहस्पति की युति होने पर कन्याओ के कान-नाक छिदवायें ।
यदि किसी खाने में बुध –शुक्र की युति हो तो गद्दे पर न सोयें।
चंद्र-बृहस्पति की युति हो तो शुद्ध या पुराना सोना घर के अंधेरे कोने में दबा दें । चांदी के बर्तन दान करें ।
बृहस्पति-सूर्य की युति हो तो पिता की सेवा करें । उनकी आज्ञा का पालन करें ।
यदि राहु एवं सूर्य की युति हो तो नीम के पेड़ की एक टहनी लाकर दायें तरफ के दरवाजे पर लटका दें । चार हरी मिर्चे और एक नींबू काले धागे में पिरोकर घर या दुकान की दहलीज पर बांध दे।
अगर बुध एवं राहु की युति हो तो चांदी की 5 ठोस गोलियां बहते पानी में प्रवाहित करें ।
जन्मकंडली में बुध-शनि की युति हो तो मांस-मंदिरा का सेवन कभी न करें । नारी-सम्मान की रक्षा करें । किसी के साथ एहसान फरामोशी न करें ।
मंगल और राहु की युति होने पर राहु की चीजें मिट्टी के बर्तन से रख जमीन में दबायें । चूल्हे के पास बैठकर भोजन न करे । मंगल का उपाय करें ।
मंगल –शनि की युति हो तो मंगल-शनि के उपाय करें ।
यदि जन्मकुंडली में मंगल-बुध की अशुभ युति हो तो मंगल की कृपा के लिए घर में होम-हवनादि संपन्न करायें ।
प्रसन्न करने के लिए 43 दिनो तक बच्चो में फलों का दान करें ।
चंद्र-केतु की युति होने पर बुध या केतु की चीजो का दान ब्राह्मण को दें । केतु का अशुभ प्रभाव मिटाने के लिये अनाज का दान करें । विद्या प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न होने पर राहु और केतु की चीजे धर्मशाला में दे । केतु को
शनि एवं बृहस्पति की युति हो तो गाय का बछड़ा दान करें ।
यदि शनि-चंद्र का अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली में हो तो सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए सूर्य की चीजे दान करें ।
अगर किसी भी घर में चंद्र-शनि की युति हो तो शनि या केतु का उपाय करें । चंद्र ग्रहण के दौरान केतु की चीजें पानी में प्रवाहित करें । सांप को दूध पुलायें । अगर जन्मकुंडली में बैठा चंद्र अशुभ या मन्दा हो तो सांप को दूध कतई न पिलायें ।
पति-पत्नी लाल रंग का रूमाल इस्तेमाल करें तो स्वास्थ्य ठीक रहता है । यदि जन्मकुंडली में बुध नीच का हो तो मंगल या केतु की सहायता लें ।
चंद्र-शुक्र की युति जन्मकुंडली के किसी भी घर में होने पर चांदी की ठोस अंगूठी पहने । घर में कुएं या नल न खुदवायें । किसी कारणवश ऐसा करना लाजमी हो तो पहले शुक्र का उपाय करें और बाद में घर में नल आदि लगवायें ।
यदि सूर्य-बुध सातवें घर में हो तो मुट्टी के बर्तन मे शहद और शक्कर भरकर उस पक ढक्कवन लगा, निर्जन स्थान में रख आयें । घर के मुख्य द्वार पर गौ-मूत्र छिड़कें । इससे केतु, बुध एवं शुक्र का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है ।नित्य गौ-मूत्र आंगन में छिड़के तो घर पर कभी विपत्ति नही आती ।
अगर सूर्य –बुध की युति ग्यारहवें घर में हो तो अपने घर में कोई किरायेदार कदापि नही रखना चाहिए ।
यदि सूर्य-शुक्र की युति जन्मकुंडली के चौथे या सातवें घर मे हो तो रात मे व्यापार या कारोबार करने पर उत्तम लाभ मिलेगा ।
सूर्य-शुक्र के दसवे घर में होने पर चौथे घर में बैठे ग्रह शुभ प्रभाव देंगे ।
अगर सूर्य-शुक्र की युति जन्मकुंडली के किसी भी घर में हो तो दुर्गा पूजन करके सात कन्याओं को भोजन करायें ।