रूद्राक्ष-धारण करने से पहले उसके असली होने की जांच अवश्य करवाले ।असली रूद्राक्ष ही धारण करें । खंडित, कांटो से रहित या कीड़े लगे हुए रूद्राक्ष धारण नही करें । यद्यपि कार्यो में छोटे और धारण करने में बडे रूद्राक्षों का ही उपयोग करें । तनाव से मुक्ति हेतु 100 दानो की, अच्छी सेहत एवं अरोग्य के लिए 140 दानो की , अर्थ प्राप्ति के लिए 62 दानो की तथा सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु 108 दानो की माला ही उपयोगी मानी गई है। अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 50 दानो की माला धारण करें । पुराण के अनुसार 26 दानो की माला मस्तक पर, 50 दानो की माला ह्रदय पर, 16 दानो की माला भुजा पर तथा 12 दानो की माला मणिबंध पर धारण करनी चाहिए । जिस रूद्राक्ष माला से जप करते हों, उसे धारण नही करें । इसी प्रकार जो माला धारण करें , उससे जप न करें । दूसरो के द्वारा उपयोग में लाए गए रूद्राक्ष या रूद्राक्ष माला को प्रयोग मे न लायें । रूद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठा कर शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए ।
पौराणिक मान्यताएं है कि शिव के नेत्रो से रूद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है । कहते हैं रूद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है । सफलता, धन-सम्पत्ति, मान-सम्मान दिलाने मे सहायक होता है रूद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रूद्राक्ष को धारण किया जाता है । वैसे , रूद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी है, जैसे- रूद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते है उसे धारण नही किया जाना चाहिए ।रूद्राक्ष को किसी शुभ मुहुर्त मे ही धारण करना चाहिए । इसे अंगूठी मे नही जड़ना चाहिए । कहते है, जो पूरे नियमो का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रूद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते है और मनोकामनाएं पूरी होती है। कहा जाता है कि जिन घरो मे रूद्राक्ष की पूजा होती है, वहा माँ लक्ष्मी का वास होता है । यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है। आइए जाने, कौन से फायदे के लिए कितने मुख वाले रूद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।
एकमुखी रूद्राक्ष को शिवजी का रूप माना जाता है । जिन लोगो को महालक्ष्मी की कृपा और सभी सुख-सुविधाएं चाहिए उन्हे एकमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए । वैसे यह रूद्राक्ष आसानी से मिलता नही है। एकमुखी रूद्राक्ष को इस मंत्र (ऊँ ह्वीं नमः) के जप के साथ धारण करना चाहिए ।
दोमुखी रूद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गय़ा है । सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए । धारण करने का मंत्र- ऊँ नमः ।। इस मंत्र के साथ दोमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
शिवपुराण के अनुसार तीनमुखी रूद्राक्ष कठिन साधना के बराबर फल देने वाला बताया गया है। जिन लोगो को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है,उन्हे मंत्र(ऊँ क्ली नमः) के साथ तीन मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
चारमुखी रूद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप माना गया है । ये रूद्राक्ष धारण करने वाले भक्त को धर्म, अर्थ ,काम , मोक्ष की प्राप्ति होती है । इसका मंत्र है-ऊँ ह्वीं नमः ।। इस मंत्र के साथ चारमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
जिन भक्तो को सभी परेशानियों से मुक्ति चाहिए और मनोवांछित फल प्राप्त करने की इच्छा है,उन्हे पंचमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए । इसका मंत्र है-ऊँ ह्वीं नमः ।। इस मंत्र के साथ पंचमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए । यह रूद्राक्ष सभी प्रकार के पापो के प्रभावों को कम करता है ।
यह रूद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है । कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र है ।जो व्यक्ति इस रूद्राक्ष को दाहिनी बाह पर धारण करता है, ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है । इसका मंत्र है –ऊँ ह्वीं हुं नमः ।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
जो लोग गरीबी से मुक्ति चाहते है, उन्हें सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए । इस रूद्राक्ष को धारण करने से गरीब व्यक्ति धनवान बन सकता है .। इसका मंत्र ऊँ हुं नमः ।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रूद्राक्ष भैरव महाराज का रूप माना जाता है । जो लोग इस रूद्राक्ष को धारण करते है, वे अकाल मृत्यु से शरीर का त्याग नही करते है । ऐसे लोग पूर्ण आयु जीते है । इसका मंत्र है –ऊँ हुं नमः ।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
यह रूद्राक्ष महाशक्ति के नौ रूपो का प्रतीक है । जो लोग नौ मुखी रूद्राक्ष धारण करते है । इन लोगो को समाज मे मान सम्मान प्राप्त होता है । इसका मंत्र है- ऊँ ह्वीं हुं नमः।। इस मंत्र के साथ धारण करना चाहिए ।
जो लोग अपनी सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते है,वे दसमुखी रूद्राक्ष पहन सकते है । इसका मंत्र है-ऊँ ह्नीं नमः।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रूद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रूद्रदेव का रूप है । जो व्यक्ति इस रूद्राक्ष को धारण करता है, वह सभी क्षेत्रो मे सफलता प्राप्त करता है । शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता त है । इसका मंत्र है –ऊँ ह्वीं हुं नमः।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
जो लोग यह रूद्राक्ष धारण करते है, उन्हे बारह आदित्यो की विशेष कृपा प्राप्त होती है । बाहरमुखी रूद्राक्ष विशेष रूप से बालो मे धारण करना चाहिए । इसका मंत्र है – ऊँ क्रौं क्षौं रौं नमः ।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
इस रूद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति भाग्यशाली बन जाता है । तेरहमुखी रूद्राक्ष से धन लाभ होता है । इसका मंत्र है – ऊँ ह्नीं नमः।। इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।
इस रूद्राक्ष को भी शिवजी का रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापो से मुक्ति मिल जाती है । इस रूद्राक्ष को मस्तक पर धारण करना चाहिए । इसका मंत्र है-ऊँ नमः इस मंत्र के साथ यह रूद्राक्ष धारण करें ।