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सुख समृद्धि के उपाय

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माँ बगलामुखी साधना

यह प्रयोग पूर्ण नियम, शुद्वता व श्रद्वा के साथ किये जाने पर सभी प्रकार के कार्यो में लाभ दायक सिद्ध होता है। किसी मंगलवार को सुबह स्नान करके पीला वस्त्र धारण करे। पूजा घर में या किसी स्वच्छ, शांत स्थान पर आम की लकड़ी की एक फुट लम्बी, एक फुट चौड़ी व छः इंच ऊॅची चौकी पर पीला कपड़ा बिछा दे । उस पर मॉ बगलामुखी का चित्र व मां बगलामुखी का यंत्र स्थपित करे । एक छोटी पीतल कटोरी में तिलक लगाने हेतु गीली हल्दी का लेप रख लें। दूसरी बड़ी पीतल कटोरी में भुने चने अथवा ताजे अकुरितं चने भोग के लिए रख दे और उस पर थोडी़ पिसी हल्दी लगा दे। चौकी के सामने पीला आसन बिछाकर बैठ जाये। अपने सामने हल्दी की जाप माला, गोमुखी, पीतल का दीपक, धूप बत्ती,रूई की बत्ती, माचिस, काली गाय का घी, ताम्रपात में जल, चमची, व एक स्वच्छ पीला रूमाल रख ले।

सर्वप्रथम चमची से थोड़ा जल माँ के चित्र पर छिड़क कर रूमाल से पोछ ले इसी प्रकार हल्दी जाप माला में सुमेर को स्नान कराये और दीपक को भी स्नान बाद पोछ ले। फिर तिलक लगाने हेतु अपने दाहिने हाथ की अनामिका (तीसरी अंगुली) से क्रम वार पहले मां के चित्र पर, यंत्र पर, दीपक पर, जाप माला के सुमेर पर तिलक लगाए। आखिर में मध्यिमा ऊंगली से स्वयं को तिलक लगाये। इसके बाद मां के चरणों में पीले फुल चढ़ायें फिर धूप जलाये।

माँ बगलामुखी

फिर अगले चरण में मां के चित्र में दाहिने (साधक के बायें तरफ) तरफ दीपक रखे जिसमें रूई की दो बत्त्तियों को मिलाकर एक बत्ती बनाकर रखें जिसका मुख पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर फिर काली गाय का घी डाल कर दीपक प्रज्ज्वलित करे। इसके पश्चात आचमन करने हेतु तीन वार बाएं हाथ सेे चमची द्वारा दाहिनी हाथ की अंजली में जल लेकर ऊॅ अच्युताय नमः, ऊॅ माधवाय नमः, ऊॅ केशवाय नमः कहते हुए प्रत्येक मंत्र के साथ एक एक बार जल पीना हैं फिर चौथी वार जल लेकर ऊॅ ऋषि केशवाय नमः कहते हुए बिना जल पिये हाथ धो लेना है। अब हाथ जोड़कर अपनी एक प्रार्थना कहनी है। बिना बदलाव कियें एक ही प्रार्थना प्रतिदिन करनी है। इसके बाद गोमुखी में माला अंदर करक दाहिने हाथ की मंधिमा ऊगली में माला डाल कर जाप प्रारम्भ करे। माला के दाने अगूठे से ही बढाये। नाखून ना लगने पाये। जाप समाप्ति के बाद हाथ जोड़कर नमन करे। फिर आसन का बायां कोना उठा कर चमची से थोड़ा जल कोने पर गिरायें और दाहिने हाथ की मध्यिमा उगली से उसी गिले जल को छूते हुए इन्दाराय नमः कहते हुए स्वयं तिलक लगाये। ऐसा तीन बार करना है अंत में दोनों हाथ पीछे करके मस्तक फर्श पर झुकाकर पूजा-जाप, मे अज्ञानता से हुई त्रुटियों और कमी के लिए छमा मांग ले अब आसन समेट कर पूरा प्रसाद स्वयं ग्रहण करे ले।

मंत्र इस प्रकार है-

“ऊॅ बगलामुखी सर्वदुष्टाय वाचम मुखम पदम स्तम्भय जिहव्यां कीलय-कीलय
बुद्वि विनाशाय हृी ऊॅ स्वाहाः (अपना नाम लें) जय बगलामुखी”

 सावधानी – 

जाप प्रारम्भ से दो दिन पूर्व से ही साधक के लिए छल-कपट क्रोध, नारी व अन्य का अपमान, मंसाहार शराब, पात्र मसाला,धूम्रपान, अशुद्ध खाद्य-पेय पदार्थ, लहसुन प्याज और घर के बाहर खान-पान करना पूर्ण रूप से त्याज्य करना अनिवार्य है। जाप करते समय मंत्र उच्चारण बोलकर ना करे। बल्कि प्रसन्न मुद्रा में मौन होकर अथवा बिना आवाज किये बुदबुदाकर ही जाप करे। साधक पूजा स्थल, शारीरिक और आचरण की शुद्वता का विशेष घ्यान रखें दीपक ज्योति जाप की समाप्ति से पूर्ण बुझना नही चाहिए।

पूजन सामग्री शुद्व व सिद्ध होनी चाहिए।