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सुख समृद्धि के उपाय

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भूमि/ प्लाट/ क्रय/ विक्रय मुहुर्त

शुभ तिथियां – 

कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तथा दोनों पक्षों की 2, 5, 6, 10, 11 तिथियाँ।

शुभवार –

क्रय करने हेतु मंगलवार, गुरूवार, शुक्रवार, विक्रय हेतु बुधवार व रविवार।

शुभ नक्षत्र –

क्रय करने हेतु मृगशिरा, पुनर्वसु, अश्लेशा, मघा, विशाखा, अनुराधा, तीनों पूर्वा, मूल व रेवती, विक्रय करने हेतु तीनों उत्तरा, हस्त, चित्राए स्वाति व शतभिषा।

शुभ मास –

क्रय/विक्रय करने हेतु वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़़, मार्गशीर्ष, माघ व फाल्गुल मास शुभ है।

गृहारम्भ मुहूर्त

गृहारम्भ हेतु आयताकार व वर्गाकार प्लाट ठीक माना जाता है वास्तु शास्त्र के नियमानुसार मकार बनाते समय पूर्वोत्त भाग खाली होना चाहिये और भूमिगत टैंक व ढाल भी पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिये। ड्राईग रूम, गेस्ट रूम व सीढ़िया परिश्मात्तर बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में किचिन दक्षिण पूर्व में बाथरूम व पूजा पूर्व में होना चाहिये। ऐसा होने पर घर धन धान्य व सुख शान्ति से भरा पूरा होता है।

शुभ तिथियां – 

शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और दोनों पक्षों की 2, 3, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 13 तिथियां।

शुभवार –

सोमवार, बुधवार, गुरूवार, रेवती, रोहिणी, तीनों उत्तरा, पुष्य, हस्त, स्वाति, धनिष्ठा, शतमिषा।

शुभ नक्षत्र –

मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, रेवती, रोहिणी, तीनों उत्तरा, पुष्य, हस्त, स्वाति, धनिष्ठा, शतमिषा।

शुभ मास –

वैसाख, श्रवण, कार्तिक, मांगशिष, पौष, माघ और फाल्गुन।

शुभ लग्न –

वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ आदि सभी स्थिर लग्न।

नींव की ईंट या पत्थर –

सूर्य 2, 3, 4 राशि में हो तो दक्षिण पश्चिम में सूर्य 5, 6, 7 राशि में हो तो दक्षिण पूर्व में सूर्य 8, 9, 10 राशि में हो तो उत्तर पूर्व में और सूर्य 11, 12, 1 राशि में हो तो उत्तर पश्चिम मे नीव की ईंट या पत्थर रखना चाहिये।

नोट – भद्रा होना, गुरू या शुक्र का अस्त होना अधिक मास होना क्रान्तिमास होना सक्रान्ति का दिन होना गृहण पड़ना तिथिपक्ष या तिथिवृद्धि होना विष्कुम्भ आदि दुष्ट योग होना कूट ग्रह भूति वेधदोष आदि का गृहारम्भ में निषेध है।

सूर्य नक्षत्र से चन्द्र नक्षत्र तक 5, 7, 9, 12, 19, 26वीं गिनती पड़ने वाले नक्षत्र की समयावधि भरापन काला होता है। अतः इसमें भी गृहारम्भ निषेध है।

गृह प्रवेश मुहर्त –

गृह प्रवेश उत्तरायण काल में शुभ माना गया है। विवाह आदि मांगलिक कार्य के लिये वर्जित दोष गृह प्रवेश में भी वर्जित है।

शुभ तिथियां – 

शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तथा दोनों पक्षों की 2, 3, 5, 6, 7, 10, 11, 13 तिथिया।

शुभवार –

सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, गुरूवार व शनिवार ( मेरे मतानुसार शनिवार इस सब में श्रेष्ठ है। )

शुभ नक्षत्र –

रोहिणी, मृगशिरा, तीनों उत्तरा, चित्रा, अनुराधा व रेवती।

शुभ लग्न –

जन्म लग्न व जन्म राशि से 3, 6, 10, 11 पड़ने वाली सभी स्थिर लगन।

शुभ मास –

वैसाख, ज्येष्ठ, मार्गशीर्ष, माघ एवं फाल्गुन।

नोट – गृह प्रवेश काल में चतुर्थ और अष्टम भाव में कोई ग्रह न होना अच्छा होता है। शुभ ग्रहों का 1, 2, 5, 7, 9, 10 भाव में होना ठीक रहता है।