मंगलिक दोष निम्न स्थितियों मे भंग या शान्त हो जाता है।
यदि पुरूष एवं स्त्री की जन्म कुण्डली में मंगल एक ही भाव में बैठे हों।
यदि पुरूष की कुण्डली में जहां मंगल बैठा है वहा स़्त्री की कुण्डली में शनि या राहु बैडे हो।
गुरु या शुक्र लग्न में हो तो वक्री अस्त नीच राशिस्थ मंगल दोषरहित होता है। अतः शांत होता है।
मंगल की पूर्णबली चन्द्र से मुक्ति होने पर मंगलीक दोष समाप्त हो जाता है।
सप्तेश उच्चराशिस्थ स्ंवराशिस्थ या मित्रराशिस्थ होकर केन्द्र या त्रिकोण में बैठा हो।
मेष, वृष, सिंह, कुम्भ लग्न वाले (वर/कन्या) को मांगलिक दोष नहीं मना जाता है।
प्रथम भाव में मेष का मंगल चतुर्थ भाव में वृश्चिक का मंगल सप्तम भाव में मकर का मंगल अष्टम भाव में कर्क का मंगल और द्वादश भाव में मीन का मंगल दोषरहित माना जाता है।