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सुख समृद्धि के उपाय

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यज्ञ एवं हवन के लिये अग्निवास

होम, यज्ञ व हवन आदि में अग्निवास का मुहुर्त जानना

कोई भी अनुष्ठान के पश्चात हवन करने का शास्त्रीय विधान है और हवन करने हेतु भी कुछ नियम बताये गये है जिसका अनुसरण करना अति आवश्यकता है अन्यथा अनुष्ठान का दुष्परिणाम भी झेलना पड़ सकता है इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है हवन के दिन अग्नि का वास

अग्नि का वास का पता करने के लिये निम्न उदाहरण है :-जैसे 31 अगस्त को हवन करवाना है और दिन है शुक्रवार

सबसे पहले देखेंगे कि 31 अगस्त को तिथि कौन सी है मान लो तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। अतः शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तक दिन हुये 19 अब इसमें 1 जोड़ देगें।

अब देखेंगे कि 31 अगस्त को दिन कौन सा होगा मान लो दिन शुक्रवार है। अतः दिन को रविवार से गिनना शुरू करेगें यानि शुक्रवार छठे दिन आयेगा।

अब तीनों को जोड़ देगें- 19+1+6 = 26
अब इसमें 4 को घटा दीजिए - 26-4 = 22
अब जो भी आये उसमें 4 का भाग दे दीजिए जैसे ऊपर 22 आया है।

22 ÷ 4 = करने पर शेष 2 आयेगा।

अगर शेष 0 या 3 तो अग्निवास पृथ्वी पर है अगर शेष 1 आये तो आकाश में है और अगर शेष 2 आये तो पाताल में है।
पृथ्वी पर अग्निवास सुखकारी होता है आकाश में जीवन का नाश करता है और पाताल में धन का नाश करता है।