लग्न –
जब शनि लग्न में हो तो मकान बनवाते ही जातक के पास धन की कमी हो जाती है परन्तु यदि सप्तम व दशम भाव में कोई गृह न हो तो मकान बनवाना शुभ रहता है।
द्वितीय भाव –
यदि 2 भाव में यदि शनि हो तो मकान बनवाना शुभ फलदायक है।
तृतीय भाव –
यदि शनि 3 भाव में हो तो मकान बनवाने से पहले 3 सफेद कुत्ते पाले।
चतुर्थ भाव –
यदि शनि 4 भाव में हो तो मकान की नींव खोदते ही या मकान बनवाते ही स्वयं को या ससुराल को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
पंचम भाव –
यदि शनि 5 भाव में हो तो जातक को स्वंय मकान नही बनवाना चाहिये यदि मकान बनवाना अत्यन्त आवश्यक है तो 48 वर्ष की उम्र में मकान बनवाना चाहिये मकान बनवाने से पहले भैंसे को घर में लाकर उसकी पूजा करें तथा सेवा करें। यदि पुत्र मकान बनवायें तो शुभ रहता है
छठा भाव –
यदि शनि 6 भाव में हो तो 39 वर्ष के बाद मकान बनवाये।
सप्तम भाव –
यदि शनि 7 भाव में हो तो बने बनाये मकान अधिक मिलेगें तथा वे मकान शुभ रहेगे। यदि मकान बिकने लगे तो पुराने मकान की चौखट को संभाल कर रखें।
आठवा भाव –
यदि शनि 8 भाव में हो तो मकान बनवाते ही कुछ शारीरिक कष्ट हो सकता है अर्थात मृत्यु तुल्य कष्ट।
नवम भाव –
जातक की स्त्री के गर्भ में बच्चा हो तो पिता पर बुरा असर होने लगता है। जब जातक के 3 मकान बन जाये तो पिता की मृत्यु की संभावना हो सकती है।
दशम भाव –
यदि शनि 10 भाव में हो तो मकान बनवाते ही धन की कमी आ सकती है।
एकादश भाव –
यदि शनि 11 भाव में हो तो दक्षिण द्वार वाला मकान न खरीदें न ही बनवायें और न ही किराये पर रहें। 55 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बनवायें।
द्वादश भाव –
मकान चाहे इच्छा से बने या बिना इच्छा से बनते मकान को अगर हो सके तो रोके नही। जातक के लिये शुभ रहेगा। चोकोर मकान हो तो ज्यादा उत्तम रहेगा।